प्रिय भक्तों, Jagat Ke Rang Kya Dekhu Lyrics एक ऐसा गीत है जो हमारे हृदय को भक्ति और अध्यात्म से ओत-प्रोत कर देता है। इस गीत के माध्यम से हम जीवन के विभिन्न रंगों और उनके पीछे छिपे ईश्वरीय रहस्यों को जान सकते हैं।
Jagat Ke Rang Kya Dekhu Lyrics हमें यह सिखाता है कि कैसे हर छोटी-बड़ी घटना में ईश्वर का प्रेम और उनकी कृपा छुपी होती है। आइए, इस गीत के शब्दों की गहराई में उतरकर इसके महत्व को समझें।
Jagat Ke Rang Kya Dekhu Lyrics
जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है ।
क्यों भटकूँ गैरों के दर पे,
तेरा दरबार काफी है ॥
नहीं चाहिए ये दुनियां के,
निराले रंग ढंग मुझको,
निराले रंग ढंग मुझको ।
चली जाऊँ मैं वृंदावन,
तेरा श्रृंगार काफी है ॥
॥जगत के रंग क्या देखूं…॥
जगत के साज बाजों से,
हुए हैं कान अब बहरे,
हुए हैं कान अब बहरे ।
कहाँ जाके सुनूँ बंशी,
मधुर वो तान काफी है ॥
॥जगत के रंग क्या देखूं…॥
जगत के रिश्तेदारों ने,
बिछाया जाल माया का
बिछाया जाल माया का ।
तेरे भक्तों से हो प्रीति,
श्याम परिवार काफी है ॥
॥जगत के रंग क्या देखूं…॥
जगत की झूटी रौनक से,
हैं आँखें भर गयी मेरी
हैं आँखें भर गयी मेरी ।
चले आओ मेरे मोहन,
दरश की प्यास काफी है ॥
॥जगत के रंग क्या देखूं…॥
जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है ।
क्यों भटकूँ गैरों के दर पे,
तेरा दरबार काफी है ॥
Jagat Ke Rang Kya Dekhu Lyrics Video
प्रिय भक्तों, Jagat Ke Rang Kya Dekhu Lyrics के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन के हर रंग में ईश्वर की लीला और उनकी महिमा छुपी होती है। यह गीत हमें भक्ति, प्रेम और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
Jagat Ke Rang Kya Dekhu Lyrics के शब्द हमें यह बताते हैं कि कैसे हम अपने जीवन को भक्ति से भर सकते हैं और ईश्वर की कृपा का अनुभव कर सकते हैं। इस गीत के माध्यम से हम जीवन के हर क्षण को ईश्वर का आशीर्वाद मान सकते हैं और उनकी भक्ति कर सकते हैं।
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